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आगरा : स्वामी दयानंद ने तो अपनी शिक्षाओं से उस समय जीवन को ही सरल बना दिया था, लेकिन आज फिर मनुष्य जीवन रसातल की ओर जा रहा है। आज भी उनकी शिक्षाएं पूरी तरह प्रासंगिक है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपना सारा जीवन मानव कल्याण, धार्मिक कुरीतियों पर रोकथाम और विश्व की एकता के प्रति समर्पित किया | ये कहना था सूर्य नगर स्थित सूर्य नगर पार्क में आर्य समाज आगरा की ओर से आयोजित महर्षि दयानन्द सरस्वती के 199वी जन्म जयंती महोत्सव में वैदिक प्रवक्ता स्वामी आर्यवेश का। स्वामी आर्यवेश ने कहा कि वेदों को छोड़कर कोई अन्य धर्मग्रंथ प्रमाण नहीं हैं।

नाई की मंडी के प्रधान सीए मनोज खुराना ने बताया कि महोत्सव में सभी ने प्रातः 8 बजे उमेश कुलश्रेष्ठ और विश्वेन्द्र शास्त्री ने वैदिक मंत्रोचारण से यज्ञ सम्पन्न कराया। उसके तत्पश्चात प्रातः 9 बजे 198 गौ घृत की माला प्रज्जवलन किया गया। प्रातः दस बजे से वैदिक प्रवक्ता स्वामी आर्यवेश ने अपने प्रवन से वैदिक ज्ञान की अमृत वर्षा की। एक बजे से ऋषि प्रसाद का आयोजन किया। सभी ने उनके जीवन से प्रेरणा लेने एवं उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महर्षि दयानंद सरस्वती की द्वितीय शताब्दी जयंती के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाले समारोह का श्रीगणेश किया। सभी का धन्यवाद कार्यकम समन्वयक राजेंद्र मल्होत्रा ने दिया। 

भजनो से वातावरण हुआ भक्तिमय
कार्यक्रम में भजन उपदेशक प्रदीप शास्त्री ने भजनों से महर्षि दयानंद का गुणगान किया | उन्होंने सौ बार जन्म लेंगे, सौ बार फ़ना होंगे, एहसान दयानन्द के फिर भी ना अदा होंगे..., भारत का कर गया बेड़ा पार, वो मस्ताना योगी.. जैसे एक के बाद एक भजनो से सभी को भावविभोर कर दिया। छूआछूत मिटाने, नारी सम्मान दिलाने, गो के प्राण बचाने, पाखंड का गढ़ ढहाने, वैदिक नाद बजाने, सोया देश जगाने, बिछड़े गले लगाने, ऋषि दयानंद आए थे... आदि का जन्म जयंती महोत्सव में सभी उद्घोष कर रहे थे।

इन्हे मिली आर्य रत्न की उपाधि 
जन्म से आर्य समाज नाई की मंडी से जुड़े अस्सी वर्षीय युधिष्टर काका और पिता के पद चिन्हो पर जन्म से ही आर्य समाज राजा मंडी से जुड़े पिच्यासी वर्षीय डॉ. विद्यासागर आर्य को इस वर्ष की आर्य रत्न की उपाधि से मंच से सम्मानित किया गया। आर्य समाज आगरा ने श्रेष्ठ आर्य परिवार का सम्मान पालीवाल परिवार के सदस्यों को दिया। वही, 199 गौ घृत और दीप सज्जा में आर्य समाज कमला नगर शाखा को प्रथम, बालाजी पुरम शाखा को द्वितीय और शमशाबाद शाखा को तृतीया स्थान मिला। 
 
महर्षि दयानन्द ने सर्वप्रथम किया स्वराज शब्द का प्रयोग 
महोत्सव संयोजक डॉ. अनुपम गुप्ता ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 'वेदों की ओर लौटो' प्रमुख नारा था। आर्य समाज के नियम सिद्धांत प्राणी मात्र के कल्याण के लिए हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती प्रथम महापुरुष थे जिन्होंने ‘स्वराज’ शब्द का प्रयोग किया। स्वामी जी ने भूमिगत रहकर स्वाधीनता के आंदोलन को गति प्रदान की।

 

इन शाखाओ के आर्यजन हुए शामिल 
आर्य वीर दल, जिला आर्य उप प्रतिनिधि सभा, वैदिक सत्संग मंडल ईदगाह, वैदिक ज्ञान विज्ञान संस्थान, सद्भावना जनकल्याण ट्रस्ट, आर्य पुरोहित सभा, आर्य गुरुकुल, कृष्ण गौशाला विजय नगर, आर्य समाज नाई की मंडी, बल्केश्वर, कमला नगर, ताजगंज, शाहगंज, बालाजीपुरम, विभव नगर, जयपुर हॉउस, इंद्रा कॉलोनी, राजा मंडी, फ्रीगंज, आवास विकास सिकंदरा आदि शाखाओ के अनुयायी शामिल हुए। 

ये रहे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन अश्वनी आर्य ने किया। इस अवसर पर पुरोहित सभा के प्रधान हरिशंकर अग्निहोत्री, वीरेंद्र कनवर, विजय अग्रवाल, राजीव दीक्षित, अनुज आर्य, प्रदीप डेमला, डॉ. वीरेन्द्र खंडेलवाल, भारत भूषण सामा, विजयपाल चौहान, अरविन्द मेहता, सुभाष अग्रवाल, राजेश तिवारी, त्रिवेणी आनंद, मंजू गुप्ता, सुधाकर गुप्ता, विकास आर्य, मालती अरोरा, प्रभात माहेश्वरी, अमरेंद्र गुप्ता, डॉ. दिवाकर वशिष्ठ, कमलेश गुप्ता, ब्रजराज सिंह परमार, आनंद शर्मा, वीरेन्द्र आर्य आदि मौजूद रहे।

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