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आगरा। ऋषि दयानन्द धर्म और संस्कृति के रक्षक थे। दयानंद ने प्रत्येक गृहस्थ के लिए पांच यज्ञों का विधान किया है, जिनमें ब्रह्म यज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, वैश्वदेवयज्ञ, अतिथि यज्ञ शामिल हैं। परमात्मा का मुख्य नाम ओम है। ये कहना था जिला आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से आरबीएस कॉलेज स्थित राव कृष्णपाल सिंह सभागार में चल रहे महर्षि दयानन्द सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव के समापन पर तीसरे दिन आर्ष गुरुकुल यज्ञ तीर्थ एटा के अधिष्ठाता डॉ. वागीश आचार्य का। उन्होंने कहा कि हम जो करते हैं, वह कर्म नहीं है। कर्ता के द्वारा सबसे इच्छित को प्राप्त करने के लिए निरंतर किया जाने वाल काम कर्म है।

विश्व कल्याण के लिए 51 कुण्डलीय महायज्ञ में दो सौ दम्पतियो ने दी आहुति

वेद प्रवक्ता स्वामी सम्पूर्णानन्द ने आर्यजनो को सम्बोधित करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में आर्य समाज के संघर्ष, त्याग और बलिदान की अतुल्य गाथा है। बेटियां ऋषि की ऋणी है, क्योंकि उन्हीं के प्रयासों से समाज में महिला शिक्षा बढ़ी, वेदादिध्ययन का अधिकार मिला। प्रातः नौ बजे राव कृष्णपाल सिंह सभागार परिसर में महर्षि दयानन्द सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव पर विश्व कल्याण के लिए 51 कुण्डलीय महायज्ञ किया । कन्या गुरुकुल महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. पवित्रा विद्यालंकार यज्ञब्रह्मा के रूप में करीब दो सौ दम्पतियो को वैदिक मंत्रोचारण से यज्ञ में राष्ट्र की एकता, समृद्धि और जनकल्याणार्थ आहुतियां दिलाई। मंच से संतो ने आर्य समाज की विस्तृत जानकारी के समावेश वाली वार्षिक स्मारिका का विमोचन किया। प्रख्यात गायक कंचन कुमार ने आर्यजनो को भजनों के द्वारा बुराइयां त्यागने का आह्वान किया और एक से बढ़कर एक भजनो से सभी को भावविभोर कर महर्षि दयानंद का गुणगान किया। 

स्वामी दयानंद ने स्वयं की आर्य समाज की स्थापना 
गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन के अधिष्ठाता आचार्य स्वदेश ने बताया कि आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने आगरा में स्वयं आर्य समाज की स्थापना की थी। ऋषियों की पवित्र भूमि आगरा में स्वामी दयानंद का आगमन तीन बार हुआ। सबसे पहले वे 1863 में आए और यमुना किनारे लाला गल्लोमल के बगीचे में दो साल तक रहकर स्वामी दयानंद ने प्रवचन दिए। दूसरी बार आगमन 1866 में हुआ। उस समय मुफीद ए आम स्कूल पीपल मंडी में था। यहां भी उन्होंने कई महीने तक प्रवचन दिए और शहर वासियों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक किया। संचालन अश्वनी आर्य ने किया। धन्यवाद संयोजक सीए मनोज खुराना ने दिया। इस अवसर पर प्रधान एडवोकेट विजय पाल सिंह चौहान, डॉ. विद्यासागर, ब्रजराज सिंह परमार, हरिशंकर अग्निहोत्री, अरुण डंग, डॉ. अनुपम गुप्ता, महेंद्र सिंह, विजय अग्रवाल, राजीव दीक्षित, वीरेंद्र कनवर, सत्यवीर सिंह, रामवीर सिंह, ललित मोहन दुबे, भानु प्रताप सिंह, प्रेमा वर्मा, सत्यदेव गुप्ता, एमपी सिंह चौहान, सुनंदा चौहान, मिथलेश दुबे आदि मौजूद रही।

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