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मथुरा। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, ब्रज प्रांत द्वारा उत्तर क्षेत्र, पश्चिम-उत्तर क्षेत्र के आठ प्रांतों के लिए दो दिवसीय कार्यकर्ता शिक्षण वर्ग का आयोजन ब्रज यात्रा धाम वृंदावन में किया गया।  प्रथम सत्र में संगठन मंत्री पश्चिम उत्तर क्षेत्र  जगराम ने प्रस्तावना पर प्रकाश डाला इससे पूर्व शिक्षण वर्ग का उद्घाटन आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक बनवीर एवं न्यास के कोषाध्यक्ष सुरेश चंद्र गुप्ता द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया। डॉ. विवेक कोहली ने सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। द्वितीय सत्र में देशराज शर्मा ने कार्यक्रम से कार्यकर्ता निर्माण की प्रक्रिया पर अपने विचार रखे। तृतीय सत्र में संघ के क्षेत्र प्रचारक बनवीर ने व्यक्ति निर्माण, व्यवस्था परिवर्तन, समाज परिवर्तन पर अत्यधिक महत्वपूर्ण चर्चा की। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत आचार्य तनय कृष्ण, ब्रज प्रांत के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार शर्मा, संयोजक डॉ. अलंकार वशिष्ठ, सह संयोजिका डॉ. रीता निगम द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के दौरान रहा सहयोग
कार्यकर्ता शिक्षण वर्ग को सफल बनाने में डॉ. रामनरेश शर्मा, प्रो. यू एन शुक्ला, प्रो. एके जेटली, प्रो. रामवीर सिंह चौहान, प्रो. उदारता भदौरिया, डॉ. बृजेश शर्मा, डॉ. दीन दयाल, डॉ. संध्या द्विवेदी, डॉ मनु प्रताप, डॉ. योगेश कुमार, डॉ. एमके अग्निहोत्री, राजेंद्र सिंह राठौर, प्रेम मौर्य, डॉ. संध्या चौहान, संजीव शर्मा, चंद्र मोहन अग्रवाल, दीप्ति उपाध्याय, प्रतिभा, वीपी सिंह सहित आचार्य तनय कृष्ण का सहयोग रहा। 

जिज्ञासाओं का किया समाधान
कार्यकर्ता शिक्षण वर्ग के समापन सत्र को डॉ. कृष्ण गोपाल ने “जिज्ञासा व समाधान“ सत्र के रूप में रखा तथा दीक्षांत शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए पर भी प्रकाश डाला। सभी कार्यकर्ताओं की जिज्ञासाओं एवं प्रश्नों का उन्होंने ने बहुत ही सहजता से एवं सरल शब्दों द्वारा समाधान किया।

विद्या मैं से मुक्ति की ओर ले जाती है
कार्यकर्ता शिक्षण वर्ग के द्वितीय दिन संघ के सह सर कार्यवाहक डॉ. कृष्ण गोपाल का लगातार दो सत्रों में कार्यकर्ताओं को पाथेय प्राप्त हुआ। डॉ. कृष्ण गोपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान शिक्षा पद्धति का प्रभाव छात्र-छात्राओं के मन पर नहीं पड़ता है। शिक्षा मातृ ज्ञान देने तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि यह विद्यार्थियों में अध्यात्म भी जागृत करने वाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज लौकिक विद्या से हम लगातार ज्ञान में वृद्धि तो कर रहे हैं लेकिन अध्यात्म से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज विश्वभर में भारतीय आईआईटीयन, चिकित्सक, अंतरिक्ष विज्ञानी बन कार्य कर विश्व को संचालित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपने परिवार के साथ रहने या रखने के लिए समय नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि आज कहीं हमारी शिक्षा में कुछ कमी रह गई, क्योंकि विद्यार्थी शिल्पकार तो बनते गए परंतु परिवार का दायित्वबोध समाप्त होता चला गया। वास्तव में विद्या वह है जो मैं से मुक्ति की ओर ले जाती है। जब ज्ञान व अध्यात्म बढ़ता है तो वैराग्य भी बढ़ता है। जब शिक्षा से अंदर अध्यात्म जाग्रत होगा, तभी विद्या से समाज एवं राष्ट्र उन्नति की ओर अग्रसर होगा।

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